मंगळवार, डिसेंबर २९, २००९

मेरी और उनकी निगाहों के सायें


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चित्रपटः प्रेम परबत
गायिकाः लता मंगेशकर
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तुझ्या पाहण्याची, निराळीच भाषा
गुलाबी मीठीची, सुगंधीत भाषा
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गिरींतून उमटे, किरणांचे ओठ
हवा फिरविते रे, नदीतून बोट
हवीशी हवीशी, ही ओठांची भाषा
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बिलगतात झाडांना, ढग काळे काळे
क्षणातून छाया, प्रकाशाचे जाळे
किती शांत शीतल, दिशांची ही भाषा
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मनसोक्त आश्वस्त, मन वागते रे
जसे मुक्त वारे, आकाश सारे
प्रीत रंगलेली, जगाचीच भाषा
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स्वैर अनुवादः तुषार जोशी, नागपूर

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