गुरुवार, जुलै २०, २००६

रोज़ रोज़ आखों तले

गीत: रोज़ रोज़ आखों तले
चित्रपट: जीवा
गायक: आशा भोसले, अमित कुमार
संगित: राहूल देव बर्मन
गीतकार: गुलज़ार
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आशा भोसले:
रोज़ रोज़ आखों तले, एकही सपना चले
रात भर काजल जले, आखों में जिस तरहा
ख्वाब का दिया जले
रोज़ रिज़ आखों तले…

जबसे तुम्हारी नाम की मिसरी होंठ लगाई है
मिठा सा ग़म और मिठीसी ही तनहाई है
रोज़ रोज़ आखों तले…

छोटीसी दिल की उलझन है, ये सुलझा दो तुम
जिना तो सिखा है मरके, मरना सिखा दो तुम
रोज़ रोज़ आखों तले…

अमित कुमार:
आँखो पर कुछ ऐसे तुमने, जुल्फ गिरा दी है
बेचारे से कुछ ख्वाबों की निंद उडा दी है
रोज़ रोज़ आखों तले…

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गुलज़ारच्या गिताचे मराठी भाषांतर करणे फारच अवघड आहे, पण एक प्रयत्न करतो आहे. या अनुवादात मूळ चाल जपण्याचा प्रयत्न केला आहे

आशा भोसले:
रोज़ रोज़ फक्त तुझे, एकच स्वप्न दिसे,
काज़ळ रात्री जसे, डोळयातं तेवावे
स्वप्नांचे दीप जसे
रोज रोज फक्त तुझे…

तुझ्या स्म्रुतिंच्या जाता येता, ओठांवर फोडी
एकटेपणा आणि वेदनेला आली गोडी
रोज रोज फक्त तुझे…

छोटासा ह्रुदयाचा गोंधळ, हा सोडव रे तू
जगणे शिकले मरता मरता, मरणे शिकव रे तू
रोज रोज फक्त तुझे…

अमित कुमार:
डोळयांवरती तुझी अचानक बट ही आली गं
बिच्चार्या काही स्वप्ननांची झोप उडाली गं
रोज रोज फक्त तुझे…

मराठी स्वैर अनुवाद: तुषार जोशी, नागपूर
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