शुक्रवार, एप्रिल १२, २०१३

आज जाने की जिद ना करो - फ़ैयाज हाश्मीं

आज जाण्याचे आखू नका
असे बाजुला अलगद बसा
आज जाण्याचे आखू नका
श्वास हरवेल हो, जीव जाईल हो
काहीच्याबाही बोलू नका

जरा समजून घ्या, का अडवते असे
जीव जातो जसे, जातो म्हणता तुम्ही
शपथ माझी तुम्हा राजसा,
मागणी आज टाळू नका
आज जाण्याचे आखू नका

काळ जखडून जगण्यास धरतो जरी
हेच क्षण आपले मुक्त हासायचे
हरवुन यांना इथे राजसा,
जन्म विरहात जाळू नका
आज जाण्याचे आखू नका

या निरागस क्षणांना जपुया जरा
प्रीत अन सौंदर्याचे जणू राज्य हे
उद्या येतो कधी राजसा
थांबवा रात ही थांबवा,
आज जाण्याचे आखू नका

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शायर: फ़ैयाज हाश्मीं
गायिका:  फ़रीदा खानम
मराठी अनुवाद: तुष्की
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मूळ कविता:

आज जाने की जिद ना करो
यूँही पहलू में बैठे रहो
आज जाने की जिद ना करो
हाय मर जायेंगे, हम तो लुट जायेंगे
ऐसी बातें किया ना करो
आज जाने की जिद ना करो

तुम ही सोचो ज़रा, कयूँ ना रोके तुम्हे
जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
तुमको अपनी क़सम जान-ए-जान
बात इतनी मेरी मान लो
आज जाने की जिद ना करो

वक़्त कि क़ैद में जिन्दगी है मगर
चन्द घड़ियाँ येही हैं जो आज़ाद हैं
इनको खोकर मेरी जान-ए-जान
उम्र भर ना तरसते रहो
आज जाने कि जिद ना करो

कितना मासूम रंगीन है यह समां
हुस्न और इश्क कि आज मैंराज है
कल कि किसको खबर जान-ए-जान
रोक लो आज की रात को
आज जाने की जिद ना करो