मंगळवार, मार्च ०९, २०१०

मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो

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मला हर घडी प्रेम करतेस तू ही
नको सांगू तू तरीही ठाऊक आहे
करू काय मी सांगते ना मला तू
लपवतेस ही खरे तर तुझी चूक आहे
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मला मोहुनी जगणे बेभान करणे
ईकडच्या तिकडच्या या गोष्टी उडविणे
पुरे भान हारवते असे तुझे बघणे
मला प्रितीयात्रेचा असा त्रास देणे
मला पाहुनी अलगद पापणी मिटणे
तुझीच खोडी आहे ना, चाबुक आहे
मला हर घडी प्रेम करतेस तू ही
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तुला झोप येईल ना माझ्या विना गं
असा एक येईल क्षण वाटे मना गं
तुझ्या केसछायेत सुखे झोपी जाईन
तुला आठविन आणि तुझे स्वप्न पाहीन
कधी बघ जरा आत डोळ्यात माझ्या
तिथे चेहरा तुझा गं नाजुक आहे
मला हर घडी प्रेम करतेस तू ही
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चित्रपट: संघर्ष
गीतकार: समीर
गायक: सोनू निगम
संगीत: जतिन-ललीत
गीत: मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
मराठी अनुवाद: तुषार जोशी, नागपूर
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मूळ गीत:
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
कहो ना कहो मुझको सब कुछ पता है
करूँ क्या मुझे तुम बताती नहीं हो
छुपाती हो मुझसे ये तुम्हारी खता है
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
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मेरी बेकरारी को हद से बढाना
तुम्हे खुब आता है बातें बनाना
निगाहे मिला के यूँ मेरा चैन लेना
सता के मुहब्बत में यूँ दर्द देना
मुझे देखके ऐसे पलके झुकाना
शरारत नहीं है तो फिर और क्या है
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
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तुम्हे निंद आयेगी अब ना मेरे बिन
मुझे है यकीं ऐसा आयेगा एक दिन
खुली तेरी जुल्फों में सोया करूँगा
तेरे ही खयालो में खोया रहूँगा
कभी गौर से मेरी आँखो में देखो
मेरी जा तुम्हारा ही चेहरा छुपा है
मुझे रात दिन बस मुझे चाहती हो
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